Top latest Five पारद शिवलिंग कहा मिलता है Urban news
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अशी मान्यता आहे. लंकेचा राजा रावणाने पारद शिवलिंगाची पूजा करून भगवान शंकराला प्रसन्न करून अनेक शक्ती प्राप्त केल्या होत्या. अशी मान्यता आहे.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शालिग्राम को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। इसलिए विष्णु देव को प्रसन्न करने के लिए इसकी स्थापना करना शुभ होता है। यदि कोई विधि-विधान और पूरे अनुष्ठान अनुसार शालिग्राम की स्थापना करता है तो इससे भगवान विष्णु उसे सामंजस्य और समृद्धि की प्राप्ति कराते हैं। ज्योतिषियों अनुसार जहाँ शालिग्राम के स्पर्शमात्र से आप बुध ग्रह को शांत कर अपने पापों का अंत कर सकते हैं वहीं उसका पूजन कर भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी पा सकते है। क्योंकि भगवान विष्णु को बुध ग्रह का स्वामित्व प्राप्त है। इसी लिए शालिग्राम की स्थापना से आपका लोगों को बुरी नज़र और दुष्प्रभाव से पूरी तरह बचाव होता है।
शिवलिंग की यह व्याख्या शैव सम्प्रदाय की प्रमुख परम्परा - शैव सिद्धांत के अनुसार है। शिवलिंग का ऊपरला हिस्सा परशिव और निचला हिस्सा यानी पीठम् पराशक्ति को दर्शाता है। पराशक्ति एवं परशिव भगवान शिव की दो परिपूर्णताएँ हैं।
जो पुण्यफल हजारो शिवलिंग की पूजा करने से मिलाता है वह पूण्यफल नर्मदेश्वर शिवलिंग और पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है
पाऱ्यापासून निर्मित शिवलिंगाचे आहे विशेष महत्त्व, केवळ स्पर्शाने मिळते पुण्य
क्या इन शिवलिंगों को खरीदते समय किसी विशेष बात का ध्यान रखना चाहिए?
- प्रातःकाल स्नान करके शिवलिंग को एक थाल या बड़े पात्र में रखें.
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परभणी पर्यटन मृत्युंजय पारदेश्ववर मंदीर (पारद शिवलिंग)
नर्मदेश्वर शिवलिंग को घर में स्थापित करने की विधि:
सुख वैभव की प्राप्ति और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए पारद श्री यंत्र को घर में स्थापित करना बेहद शुभ होता है। इस यंत्र की घर में स्थापना करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पारद श्री यंत्र का दैवीय प्रतीक लक्ष्मी माता और कुबेर देव को माना गया है। पारिवारिक सुख और आर्थिक मजबूती के लिए लक्ष्मी माता का ये यंत्र स्थापित किया जाता है। इसे सभी यंत्रों में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस यंत्र को प्रभावकारी बनाए रखने के लिए प्रतिदिन इसकी पूजा अर्चना के साथ मंत्र उच्चारण करना बेहद आवश्यक है। विशेषरूप से होली, दिवाली, नवरात्री और शिवरात्रि के दौरान सही मंत्रोच्चार कर इस यंत्र को अधिक प्रभावकारी बनाया जाता है। पारद श्री यंत्र सोना, चांदी और तांबे का हो सकता है।
स्वयंभू शिव: स्फटिक शिवलिंग को भगवान शिव का स्वयंभू रूप माना जाता है। अर्थात, यह प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है और किसी बाहरी प्रक्रिया से नहीं।
जहरीला होने के कारण पारे को अष्ट संस्कार करके ही शिवलिंग निर्माण किया जाता है